सेवा का महत्त्व
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जोड़े घर की सेवा का महत्त्व :-
एक बार गुरु अर्जन देव जी के दर्शन के लिए “काबुल” से सँगत “अमृतसर” आई। सँगत बाहर जोड़े छोड़कर गुरुद्वारा साहब पहुंची।
तभी गुरु साहब को पता चला। गुरु जी बाहर निकल आए। सँगत को गुरु साहब नहीं दिखे। गुरु साहब को बाहर आकर देखा तब गुरु जी अपने हाथों से अपने गले के पवित्र साफे से “जोड़े” साफ़ कर रहे थे। सँगत हैरान परेशान हो गई। भागकर गुरु साहब के हाथ पकड़ लिए। पैरों में गिरकर माथा टेक कर माफ़ी मांगने लगे।
तब गुरु साहब ने ये तुक उचारी
“गुरसिखां की हर धूड़ देह
हम पापी भी गत पाहि।।” अंग 1424
गुरु साहब ने कहा
जो सँगत इतनी दूर से गुरु रामदास जी के दरबार में पहुंची है उस सँगत के चरणों की धुल भी दास अर्जन को मिल जाए तो मेरा पार निस्तारा हो जाए।
क्या हम इसी भावना से “जोड़े घर” में सेवा करेंगे ?
धन है गुरु साहब जिन्होंने हर एक बात को पहले खुद किया और बाद में सँगत ने अनुकरण किया। किसी बात में जबरदस्ती नहीं।
चलो “जोड़ेघर” की सेवा इस भाव से कर के अपना जीवन सफल करें। जब गुरु साहब अपने आप को “पापी” कहते हो तो हम क्या हैं ??? सोचो सोचो और करके देखो यह सेवा अपने मन से अहंकार निकाल कर नम्रता लाने के लिए।
Shared by Meena Mehta