Category Archives: Absolute Truth

  • 0

झूठ और सच

एक बार गुरु नानक देव जी ने मरदाने को एक टका
दिया और कहा कि एक पैसे का झूठ ला और एक पैसे
का सच ला| परमार्थ की इतनी ऊँची बात को कोई
कोई ही समझ सकता है| मरदाना जब एक टका लेकर झूठ
और सच खरीदने किसी दुकान पर जाता तो लोग
उसका मजाक उड़ाते, कि क्या झूठ और सच भी दुकानों
पर मिलता है|
अंत में मरदाना एक प्यार वाले के पास पहुंचा, उसको
मरना याद था, क्यूंकि जिसको मरना याद रहता है
उसको सिमरन भी याद रहता है| उस व्यक्ति के पास
जाकर मरदाने ने कहा कि एक पैसे का सच दे दो और एक
पैसे का झूठ दे दो| उस आदमी ने अपनी जेब से एक कागज
निकला, उसके दो हिस्से किये और एक पर लिखा कि
‘मरना सच है’ और दूसरे पर लिखा ‘जीना झूठ है’, और
वो कागज मरदाने को दे दिए| मरदाना वो कागज
लेकर गुरु नानक जी के पास वापिस पहुंचा और नमस्कार
कर के कहा कि गुरु जी ये वो कागज की पर्चियां
मिली हैं| बाबा जी ने पर्चियों को पड़ा कि मरना
सच है, तो कहा कि ये ही दुनिया का सब से बड़ा सच
है| दुनिया में जो कोई भी आया है उसने यहाँ से
जाना है, वो अपने आने से पहले अपना मरना लिखवा
कर आया है| अगर कोई यह कहता है कि मेरे संगी-
साथी दुनिया छोड़ कर जा रहे है, और मुझे भी पता
नहीं कब परमात्मा का बुलावा आ जाना है, तो यह
सच है| जिसको अपना मरना याद रहता है वो दुनिया
में कोई बुरा काम नहीं करता और हर वक्त परमात्मा
को याद करता रहता है, उसका सिमरन करता रहता है|
दूसरी पर्ची पर बाबाजी ने ‘जीना झूठ है’ पढ़ कर कहा
कि अगर कोई आदमी यह कहता है कि उसने हमेशा इस
दुनिया में रहना है तो ये सब से बड़ा झूठ है| इस दुनिया
में कोई भी चीज सथाई नहीं है| जनम होने से पहले ही
सब का मरना तय हो जाता है, इस लिए ये कहना सब
से बड़ा झूठ है कि किसी ने हमेशा जीते रहना है|
इस लिए हमें अपनी मौत को कभी भूलना नहीं चाहिए
और उसे याद करके ही सब कर्म करने चाहिए| प्रभु का
सिमरन करना चाहिए और अच्छे काम करने चाहिए|

OM TT ST


  • 0

क्रोध ने हमको बांधा हैं या हमने क्रोध को

एक  बार एक व्यक्ति एक महात्मा के पास गया और उसने उस महात्मा से कहा कि हे ! महात्मा मुझे बहुत क्रोध आता हैं | कृपया कोई उपाय बताये | तब महत्मा ने धीरे से मुस्कुरा कर हाथ आगे बढाया और अपने हाथ की मुट्ठी बांधकर कहा – हे भाई ! मेरी यह मुठ्ठी बंद हो गई हैं खुल नहीं रही हैं | तब उस व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा हे महात्मा| आपने ही यह मुठ्ठी बाँधी हैं आप खुद ही इसे खोल सकते हैं |

तब महात्मा ने मुस्कुराकर कहा हे भाई ! जब यह मुठ्ठी मुझे बांधकर नहीं रख सकती तब क्रोध तुम्हे कैसे बाँध सकता हैं मन के जिस कोने में क्रोध को पकड़ रखा हैं उसे वहाँ से जाने दो | मन में उसे बैठाकर नहीं रखोगे तो उससे दूर करने का उपाय भी नहीं पूछना होगा |

बुराई खुद जन्म नहीं लेती | हमारा मन ही उसे जगह देता हैं | जब हम अच्छा बुरा जानते हैं तब उन्हें अपने अन्दर पनपने से भी रोक सकते हैं | जैसे एक शराबी जानता हैं कि शराब पीने से उसका कोई लाभ नहीं | बल्कि भविष्य में उससे उसे तकलीफ ही होगी |तो क्या वह अपने आपको इस बुराई से दूर नहीं कर सकता ?

बुराई को जान कर पाल कर रखना, रखने वाले की गलती होती हैं बुराई की नहीं |

#OmTtSt


  • 0
Sunday Inspirational Stories @ OmTtSt.com

इंसान और भगवान

एक बार एक गरीब किसान एक अमीर साहूकार के पास आया, और उससे बोला कि आप अपना एक खेत एक साल के लिए मुझे उधार दे दीजिये। मैं उसमें मेहनत से काम करुँगा, और अपने खाने के लिए अन्न उगाऊंगा।  साहूकार बहुत ही दयालु व्यक्ति था। उसने किसान को अपना एक खेत दे दिया, और उसकी मदद के लिए 5 व्यक्ति भी दिए।

साहूकार ने किसान से कहा कि मैं तुम्हारी सहायता के लिए ये 5 व्यक्ति दे रहा हूँ, तुम इनकी सहायता लेकर खेती करोगे तो तुम्हे खेती करने में आसानी होगी।

साहूकार की बात सुनकर किसान उन 5 लोगों को अपने साथ लेकर चला गया, और उन्हें ले जाकर खेत पर काम पर लगा दिया।

किसान ने सोचा कि ये 5 लोग खेत में काम कर तो रहे हैं, फिर मैं क्यों करू? अब तो किसान दिन रात बस सपने ही देखता रहता, कि खेत में जो अन्न उगेगा उससे क्या क्या करेगा, और उधर वे पाँचो व्यक्ति अपनी मर्जी से खेत में काम करते। जब मन करता फसल को पानी देते, और अगर उनका मन नहीं करता, तो कई दिनों तक फसल सुखी खड़ी रहती।

जब फसल काटने का समय आया, तो किसान ने देखा कि खेत में खड़ी फसल बहुत ही ख़राब है, जितनी लागत उसने खेत में पानी और खाद डालने में लगा दी खेत में उतनी फसल भी खेत में नहीं उगी। किसान यह देखकर बहुत दुखी हुआ।

एक साल बाद साहूकार अपना खेत किसान से वापिस माँगने आया, तब किसान उसके सामने रोने लगा और बोला आपने मुझे जो 5 व्यक्ति दिए थे मैं उनसे सही तरीके से काम नहीं करवा पाया और मेरी सारी फसल बर्बाद हो गयी। आप मुझे एक साल का समय और दे दीजिये मैं इस बार अच्छे से काम करूँगा और आपका खेत आपको लौटा दूँगा।

किसान की बात सुनकर साहूकार ने कहा- बेटा यह मौका बार बार नहीं मिलता, मैं अब तुम्हें अपना खेत नहीं दे सकता। यह कहकर साहूकार वहाँ से चला गया, और किसान रोता ही रह गया।

दोस्तों अब आप यहाँ ध्यान दीजिये|

वह दयालु साहूकार भगवान” हैं
गरीब किसान हम सभी व्यक्ति” हैं
साहूकार से किसान ने जो खेत उधार लिया था, वह हमारा शरीर” है|
साहूकार ने किसान की मदद के लिए जो पांच किसान दिए थे, वो है हमारी पाँचो इन्द्रियां आँख, कान, नाक, जीभ और मन” है|

भगवान ने हमें यह शरीर अच्छे कर्मो को करने के लिए दिया है, और इसके लिए उन्होंने हमें 5 इन्द्रियां “आँख, कान, नाक, जीभ और मन” दी है। इन इन्द्रियों को अपने वश में रखकर ही हम अच्छे काम कर सकते हैं ताकि जब भगवान हमसे अपना दिया शरीर वापिस मांगने आये तो हमें रोना ना आये।

इस ज्ञान को अपने जीवन में अपनायें ।

#OmTtSt

 


  • 0

भगवान के दोस्त

एक बच्चा गला देनेवाली सर्दी में नंगे पैर प्लास्टिक के तिरंगे बेच रहा था, लोग उसमे भी मोलभाव कर रहे थे।
एक सज्जन को उसके पैर देखकर बहुत दुःख हुआ, सज्जन ने बाज़ार से नया जूता ख़रीदा और उसे देते हुए कहा “बेटा लो, ये जूता पहन लो”. लड़के ने फ़ौरन जूते निकाले और पहन लिए, उसका चेहरा ख़ुशी से दमक उठा था. वो उस सज्जन की तरफ़ पल्टा और हाथ थाम कर पूछा – “आप भगवान हैं ?
उसने घबरा कर हाथ छुड़ाया और कानों को हाथ लगा कर कहा – “नहीं बेटा, नहीं. मैं भगवान नहीं”
लड़का फिर मुस्कराया और कहा
“तो फिर ज़रूर भगवान के दोस्त होंगे, क्योंकि मैंने कल रात भगवान से कहा था कि मुझे नऐ जूते देदें,”
वो सज्जन मुस्कुरा दिया और उसके माथे को प्यार से चूमकर अपने घर की तरफ़ चल पड़ा.
अब वो सज्जन भी जान चुके थे कि भगवान का दोस्त होना कोई मुश्किल काम नहीं..
Come out of your comfort zone, share your richness.

  • 1

जो चाहोगे सो पाओगे

Meditation जो चाहोगे सो पाओगे

Meditation जो चाहोगे सो पाओगे

Meditate

💐 जो चाहोगे सो पाओगे 💐

एक साधु था , वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करता था , “जो चाहोगे सो पाओगे”, जो चाहोगे सो पाओगे।”

बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीँ देता था और सब उसे एक पागल आदमी समझते थे।

एक दिन एक युवक वहाँ से गुजरा और उसने उस साधु की आवाज सुनी, “जो चाहोगे सो पाओगे”, जो चाहोगे सो पाओगे।” ,और आवाज सुनते ही उसके पास चला गया।

उसने साधु से पूछा – “महाराज आप बोल रहे थे कि ‘जो चाहोगे सो पाओगे’ तो क्या आप मुझको वो दे सकते हो जो मैँ चाहता हूँ?”

साधु उसकी बात को सुनकर बोला – “हाँ बेटा तुम जो कुछ भी चाहते हो मैँ उसे जरुर दुँगा, बस तुम्हे मेरी बात माननी होगी।
लेकिन पहले ये तो बताओ कि तुम्हे आखिर चाहिये क्या?”

युवक बोला-  “मेरी एक ही ख्वाहिश है मैँ हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनना चाहता हूँ।”

साधू बोला , “कोई बात नहीँ मैँ तुम्हे एक हीरा और एक मोती देता हूँ, उससे तुम जितने भी हीरे मोती बनाना चाहोगे बना पाओगे !”

और ऐसा कहते हुए साधु ने अपना हाथ आदमी की हथेली पर रखते हुए कहा , “ पुत्र , मैं तुम्हे दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं, लोग इसे ‘समय’ कहते हैं, इसे तेजी से अपनी मुट्ठी में पकड़ लो और इसे कभी मत गंवाना, तुम इससे जितने चाहो उतने हीरे बना सकते हो ”

युवक अभी कुछ सोच ही रहा था कि साधु उसकी दूसरी हथेली , पकड़ते हुए बोला , “पुत्र , इसे पकड़ो , यह दुनिया का सबसे कीमती मोती है , लोग इसे “ धैर्य ” कहते हैं , जब कभी समय देने के बावजूद परिणाम ना मिलें तो इस कीमती मोती को धारण कर लेना , याद रखना जिसके पास यह मोती है, वह दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकता है।”

युवक गम्भीरता से साधु की बातों पर विचार करता है और निश्चय करता है कि आज से वह कभी अपना समय बर्बाद नहीं करेगा और हमेशा धैर्य से काम लेगा ।

और ऐसा सोचकर वह हीरों के एक बहुत बड़े व्यापारी के यहाँ काम शुरू करता है और अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर एक दिन खुद भी हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनता है।

समय’ और ‘धैर्य’ वह दो हीरे-मोती हैं जिनके बल पर हम बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।

💐 तात्पर्य 💐
अतः ज़रूरी है कि हम अपने कीमती समय को बर्बाद ना करें और अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए धैर्य से काम लें।


  • 0

The Spontaneous Change

The Spontaneous Change

The Spontaneous Change

An old farmer lived on a farm in the mountains with his young grandson. Each morning, Grandpa was up early sitting at the kitchen table reading his Bhagavat Geeta.

His grandson wanted to be just like him and tried to imitate him in every way he could.

One day the grandson asked, “Grandpa! I try to read the Bhagawat Geeta just like you but I don’t understand it, and what I do understand, I forget as soon as I close the book. What good does reading the Bhagawat Geeta do?”

The Grandfather quietly turned from putting coal in the stove and replied, “Take this coal basket down to the river and bring me back a basket of water.”

The boy did as he was told, but all the water leaked out before he got back to the house.

The grandfather laughed and said, “You’ll have to move a little faster next time,” and sent him back to the river with the basket to try again.

This time the boy ran faster, but again the basket was empty before here turned home. Out of breath, he told his grandfather that it was impossible to carry water in a basket, and he went to get a bucket instead.

The old man said, “I don’t want a bucket of water; I want a basket of water. You’re just not trying hard enough,” and he went out the door to watch the boy try again.

At this point, the boy knew it was impossible, but he wanted to show his grandfather that even if he ran as fast as he could, the water would leak out before he got back to the house. The boy again dipped the basket into river and ran hard, but when he reached his grandfather the basket was again empty.

Out of breath, he said, “SEE…. it is useless!”

“So you think it is useless?” The old man said, “Look at the basket.”

The boy looked at the basket and for the first time realized that the basket was different. It had been transformed from a dirty old coal basket and was now clean, inside and out.

“Son, that’s what happens when you read the Bhagavat Geeta. You might not understand or remember everything, but when you read it, you will be changed, inside and out. That is the work of GOD in our lives.”

This is beautiful story – Can’t say when it might inspire one.

Bhagavat Geeta is very deep and inspiring. That’s why we read the Bhagavat Geeta, even if we can’t understand it? Here this story that tells you why reading good articles, books, and anecdotes / stories not only add values in life, it also help us understand life as a whole.

Note: Share your stories ([email protected]) with us and we will love to publish it here. Let's keep spreading values, wisdom, Happiness and kindness. For individuals sharing regular meaningful stories we will create unique user id highlighting their names/profiles.

  • 0
OM ओम्

OM ओम्

Tags :

Category : Absolute Truth , OmTtSt

Om ओम्

Om ओम्

ओम् OM
 
Om, the supreme sound, those who have explored the inner world, have always found a unique sound, the sound of existence itself. Om represents the Shabda Brahman. The Brahman here refers to the Supreme Infinite Spirit or Supreme Person.
 
The eternal sound of Om is heard only when your mind is completely silent, when you have gone beyond all words, all languages, all thoughts, when there is nothing but pure silence, undiluted, not even a ripple. Suddenly you hear a music. There is no one producing it, no instrument playing it. It seems it is simply the sound of silence, the very heartbeat of existence.
 
Contemplating and Concentrating on ‘Self’ while merging your self in this sound will lead you up to the unknowing, unseen realm of life. If you wish to experience the divine world you have to enter this realm of eternal by immersing your identity in the divine cosmic sound ‘OM
 
As it is said by those who have heard it that –
“It says nothing, but it vibrates your being to such joy, to such celebration, to such dance that you have never dreamt of before.”
 
#OmTtSt  ओम् तत् सत्

  • 0

Mahavakyas

Om-Tat-Sat-1

Om-Tat-Sat-1

Though there are many Mahavakyas, four of them, one from each of the four Vedas, are often mentioned as “the Mahavakyas”. According to the Vedanta-tradition, the subject matter and the essence of all Upanishads is the same, and all the Upanishadic Mahavakyas express this one universal message in the form of terse and concise statements. In later Sanskrit usage, the term mahāvākya came to mean “discourse“.

According to the Advaita Vedanta tradition the four Upanishadic statements indicate the ultimate unity of the individual (Atman) with Supreme (Brahman).

The Mahavakyas are:

prajñānam brahma – “Prajña is Brahman”, or “Brahman is Prajña”
(Aitareya Upanishad 3.3 of the Rig Veda)

ayam ātmā brahma – “This Self (Atman) is Brahman”
(Mandukya Upanishad 1.2 of the Atharva Veda)

tat tvam asi – “Thou art That”
(Chandogya Upanishad 6.8.7 of the Sama Veda)

aham brahmāsmi – “I am Brahman”, or “I am Divine”
(Brhadaranyaka Upanishad 1.4.10 of the Yajur Veda)

People who are initiated into sannyasa in Advaita Vedanta are being taught the four mahavakyas as four mantras, “to attain this highest of states in which the individual self dissolves inseparably in Brahman”.


  • 0

Om Tt St

Om Tt St

Om Tt St

Launching the platform  OmTtSt.com on 15 January 2016 – the auspicious day of Makar Sakranti

Phase-1: The intention in this phase is to co-create a platform where we can share the real philosophy of life, in the simplest form. The platform will highlight the important aspects of life (religion, spiritualism, science and society) as a whole. The intention is to use Hindi and English as medium of expression.

Phase-2: The intention in phase 2 will be to co-conduct experiential workshops, retreats and boot-camps to share the real, effective practices. The process will encourage sharing the simple but authentic steps which the individuals feel and think are effective.   The objective is to support and serve individuals in understanding and experiencing life – the real LIFE

Phase-3: The phase 3 will give information and understanding about the products (eg. books, yoga/mediation accessories, organic products and various unique ways to use them. The intention is to help individuals to evolve continuously and to immerse in OmTtSt – All that IS –  as the essence of real LIFE.

Let’s Co-create the world of oneness and peace now.

HariOmTatSat