मकर संक्रांति का महत्व
भारतीय संस्कृति में सूर्य का बड़ा महत्व है | सूर्य हमारे वैदिक देवता हैं | सूर्यदेव के बारे में वेद में कहा गया है
“सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषः”
अर्थात् सूर्य विश्व का आत्मा है | ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है| मेष आदि १२ राशियाँ हैं | हर राशि में सूर्य एक माह तक रहते हैं | जब सभी १२ राशियों का परिभ्रमण समाप्त होता है तब एक संवत्सर यानी वर्ष सम्पूर्ण होता है| काल गणना का विस्तृत विज्ञान हमारे भारतीय ग्रंथो में वर्णित है | जिसके अनुसार अहोरात्र का एक दिन, सात दिन का सप्ताह, दो सप्ताह का एक पक्ष, शुक्ल और कृष्ण इन दो पक्षों का एक मास, दो मास की एक ऋतु, तीन ऋतुओं का एक अयन और दो आयनों का एक वर्ष होता है | जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब से ६ महीने उत्तरायण के महीने होते हैं | जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तब से ६ महीने दक्षिणायन|।
उत्तरायण का वैशिष्ट्य
उत्तरायण के समय में दिन बड़े, आकाश स्वच्छ और सूर्य की किरणें स्पष्ट, तीव्र एवं सीधी होती हैं | प्रकृति के विकास के लिए यह समय उत्कृष्ट समय माना गया है | इसी समय में ऋतुओं के राजा वसंत का आगमन होता है | अतः उत्तरायण का काल शुभ माना जाता है |
” उत्तरम् अयनम् अतीत्य व्यावृत्तः क्षेम सस्य वृद्धिकरः |”
उत्तरायण का सूर्य क्षेम एवं धान्य वृद्धि कराने वाला होता है |
संक्रांति का अर्थ
जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तब उस पुण्य काल को संक्रांति कहते हैं | वैसे तो हर महीने संक्रांति होती है और हर संक्रांति महत्वपूर्ण है परन्तु जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है | भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नामों से इस पर्व को मनाया जाता है | हम सूर्य और अग्नि की उपासना को अधिक महत्व देते हैं | अतः यज्ञ और सूर्य की उपासना करना हमारा कर्त्तव्य है |
मित्रों! मानव धर्म के प्रणेता मनु ने कहा है कि जो आहुति हम अग्नि में स्वाहाकार द्वारा प्रदान करते हैं वह सूर्य को प्राप्त होती है सूर्य वह स्वीकार कर वृष्टि रूप में हमें वापस देते हैं। उसी से अन्न उत्पन्न होता है और उससे प्रजा की निर्मिति होती है |
“अग्नौ प्रास्ताहुतिः सम्यक् आदित्यमुपतिष्ठते| आदित्यात् जायते वृष्टिः ततः अन्नं ततः प्रजाः||”
श्रीमद् भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है
“अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्याद् अन्न संभवः|
यज्ञाद् भवति पर्जन्यः यज्ञ कर्म समुद्भवः||”
यज्ञ करना हमारा कर्त्तव्य है अतः मकर संक्रांति के दिन यज्ञ करना शुभ और हितावह माना गया है |
मकर संक्रांति को क्या करना चाहिए
इस वर्ष मकर संक्रांति १५ जनवरी २०१६ को है | इस दिन यथाशक्ति वस्त्र, अन्न, बर्तन, तिल, घी, गुड, सुवर्ण, घोड़े, गाय या गौचारे आदि का दान करना चाहिए | हो सके उतना अधिक समय जप अनुष्ठान करना चाहिए | यज्ञ करना अति श्रेष्ठ पर्याय है| अच्छे विचार करना और लोगों से अच्छा व्यवहार करना तथा पुरे वर्ष के लिए किसी अच्छी प्रवृत्ति या नियम का संकल्प लेना | शास्त्र अभ्यास या गुरु से ज्ञान प्राप्त करने की शुरुआत करना |
इति शुभम् भवतु कल्याणम्