झूठ और सच
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एक बार गुरु नानक देव जी ने मरदाने को एक टका
दिया और कहा कि एक पैसे का झूठ ला और एक पैसे
का सच ला| परमार्थ की इतनी ऊँची बात को कोई
कोई ही समझ सकता है| मरदाना जब एक टका लेकर झूठ
और सच खरीदने किसी दुकान पर जाता तो लोग
उसका मजाक उड़ाते, कि क्या झूठ और सच भी दुकानों
पर मिलता है|
अंत में मरदाना एक प्यार वाले के पास पहुंचा, उसको
मरना याद था, क्यूंकि जिसको मरना याद रहता है
उसको सिमरन भी याद रहता है| उस व्यक्ति के पास
जाकर मरदाने ने कहा कि एक पैसे का सच दे दो और एक
पैसे का झूठ दे दो| उस आदमी ने अपनी जेब से एक कागज
निकला, उसके दो हिस्से किये और एक पर लिखा कि
‘मरना सच है’ और दूसरे पर लिखा ‘जीना झूठ है’, और
वो कागज मरदाने को दे दिए| मरदाना वो कागज
लेकर गुरु नानक जी के पास वापिस पहुंचा और नमस्कार
कर के कहा कि गुरु जी ये वो कागज की पर्चियां
मिली हैं| बाबा जी ने पर्चियों को पड़ा कि मरना
सच है, तो कहा कि ये ही दुनिया का सब से बड़ा सच
है| दुनिया में जो कोई भी आया है उसने यहाँ से
जाना है, वो अपने आने से पहले अपना मरना लिखवा
कर आया है| अगर कोई यह कहता है कि मेरे संगी-
साथी दुनिया छोड़ कर जा रहे है, और मुझे भी पता
नहीं कब परमात्मा का बुलावा आ जाना है, तो यह
सच है| जिसको अपना मरना याद रहता है वो दुनिया
में कोई बुरा काम नहीं करता और हर वक्त परमात्मा
को याद करता रहता है, उसका सिमरन करता रहता है|
दूसरी पर्ची पर बाबाजी ने ‘जीना झूठ है’ पढ़ कर कहा
कि अगर कोई आदमी यह कहता है कि उसने हमेशा इस
दुनिया में रहना है तो ये सब से बड़ा झूठ है| इस दुनिया
में कोई भी चीज सथाई नहीं है| जनम होने से पहले ही
सब का मरना तय हो जाता है, इस लिए ये कहना सब
से बड़ा झूठ है कि किसी ने हमेशा जीते रहना है|
इस लिए हमें अपनी मौत को कभी भूलना नहीं चाहिए
और उसे याद करके ही सब कर्म करने चाहिए| प्रभु का
सिमरन करना चाहिए और अच्छे काम करने चाहिए|
OM TT ST